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Up की ओर जाने वाली ट्रेनों में रेल प्रशासन द्वारा सौतेला व्यवहार क्यों..?

देश की धड़कन कही जाने वाली भारतीय रेल में जिस कदर समय-समय पर किराया बढ़ाया जा रहा है, उसकी तुलना में रेल यात्रियों को रेलवे सुविधाएं कब प्रदान करेगी? जहां एक तरफ आए दिन रेल दुर्घटनाएँ हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ सफर के दौरान यात्रियों को अनेक असुविधाओं से भी गुजरना पड़ रहा है। भारत के सभी राज्यों को जोड़ने वाली भारतीय रेल सफलतापूर्वक लोगों को अपने मुकाम तक पहुंचाती है। भारतीय रेल हमारे सफर का एक अहम पर्याय बन चुकी है, लेकिन यात्रियों को होनेवाली असुविधा के बावजूद लोग यात्रा करने को मजबूर हैं। कुछ आवश्यक कार्य से मुझे वाराणसी के लिए निकलना पड़ा। मैंने मुंबई से 15 ऑक्टोबर को वाराणसी के लिए कामायनी एक्सप्रेस ट्रेन ली। टिकट आरक्षित था, अतः सफर अच्छे से गुजरने की आशा थी। बाहर से देखा, तो पता चला ट्रैन की बोगी नई है, यह देखकर खुशी हुई कि रेल प्रगति के पथ पर अग्रसर है। मैंने अपनी सीट पकड़ी और ट्रेन समय (दो.12.40) पर स्टेशन छोड़ काशीनगरी के लिए निकल पड़ी। सफर को अभी कुछ घंटे ही गुज़रे थे, पता चला कि टॉयलेट एकदम गंदे हैं। सोचा, कोई बात नहीं, ट्रैन में सफाई कर्मचारी होते हैं