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अप्रैल, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती.

"मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती..", यह प्रसिद्ध गीत हमें किसानों के जीवन में उनके कठोर परिश्रम से उपजे खुशियों की याद दिलाता है; लेकिन आज ये खुशियाँ दिन-बदिन उससे कोसों दूर जाती हुई प्रतीत हो रही हैं..!! किसान 'गजेन्द्र सिंह' ने अपने ही गमछे को, जिसे वह कठोर परिश्रम के दौरान पसीना पोछने और धूप से बचने के लिए पगड़ी के रूप में काम में लाता था, उसी गमछे को अपनी मृत्यु का हथियार बना लिया..!! गजेन्द्र सिंह की आत्महत्या से इस देश की धरती एक बार पुनः शर्मसार हुई है..!! आज धरती माता अपने ही पुत्र की रक्षा कर पाने में असमर्थ है..!! लेकिन इस तथाकथित मानवता को जरा भी शर्म नहीं आएगी..!! किसानों की आत्महत्या का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा..!! इस पर सरकार कोई भी कारगर उपाय कर पाने में पूरी तरह से असमर्थ रही है..!! आज सदन में निश्चय ही इस विषय पर बहसबाजी होगी..!! पक्ष और विपक्ष दोनों में घमासान होगा, लेकिन किसानों के हित में कोई फैसला नहीं होगा..!! गजेन्द्र सिंह का शव कुछ देर पहले ही उनके घर पहुँचा..!! बेटे की मौत की खबर से पिता की हालत खराब हो गई है..!! अभी