सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
दुनिया बदल गई, या लोग बदल गए, या जीवन जीने के पैमाने ही बदल गए, आज भी याद आता है, वो सुहाना बचपन, हमजोलियों के साथ खेले वे खेल, गुल्ली-डंडा बड़ा था प्यारा, लुका-छिपी लगता था न्यारा, पेड़ों

आधी सूखी रोटी...

आधी सूखी रोटी पे था नमक भी कम पड़ रहा माँ ने पूछा लाल से कौन है ये रच रहा?                               पेट की न आग बुझी                               प्यास भी अब जल गयी                               होती क्षुधा शांत मेरी                               ख्वाब बनकर रह गयी. देखा था कल फ़ेंक रहा था, छत की मुंडेर से जूठन कोई, सोच रहा था मैं, मुझे दे देता वाही जूठन कोई.                              आगे बढ़ा जब हारकर                               तो  कुतिया भी चट कर गयी                               होती क्षुधा  शांत मेरी                               ख्वाब बन कर रह गयी  माँ बता दे, ये दुनिया  अब लगती मुझे अजीब है कुत्ते से भी  बद जाएँ  अगर तो हम कौन से जीव हैं ?                            माँ, बोली इस तरह कि                            गम हो गया था गुम  कहीं                            सूख गया नैनों से  नीर                            खो गई  ममता कहीं बेटा  जीकर भी निष्प्राण हैं, निर्जीव हैं पाप है ये ख्वाब देखना क्योंकि हम  गरीब हैं                          माँ उठी  अनमनी सी                

जीव या जीवात्मा....

आज पूरे एक वर्ष हो गए, मैंने नयी कविता लिखी. जीव व्  जीवात्मा इस विषय ने पिछले  कुछ  दिनों से मुझे काफी हैरान किया है. मेरी नयी कविता का शीर्षक भी यही है - जीव या जीवात्मा....

In University

शाम  के चार बज रहे हैं. मैं, आदिल और प्रमिला मुंबई युनिवेर्सिटी में बैठे हुए हैं. यहाँ का वातावरण बहुत ही शांत लग रहा है. छुट्टियाँ  समाप्त होने को हैं, लेकिन शोध कार्य चल रहा है, इसलिए आना पड़ता है.
आज काफी दिन हो गए मैं लिखने बैठा हूँ। समय तीव्र गति से बीता चला जा रहा है। हमारे सपनो की मुंबई नित नवीन सपने हमें दिखा रही है। आज माय नेम इस खान रिलीज़ हुई इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ, इसके बावजूद जनता फिल्म देखने गई. मेरी इच्छा थी कि मैं भी फिल्म देखने जाऊं पर जा न सका । राजनितिक पार्टियाँ अपने स्वार्थ के लिए क्या क्या नही करती । कल विद्यालय में पूर्व छात्रों व् शिक्षकगण के लिए स्नेह सम्मलेन आयोजित किया गया है । सैंट अलोय्सिअस हाई स्कूल कल शाम अपना सौ वषों का इतिहास दोहराएगी । यह बड़ा भव्य अवसर होगा जब बिचड़े हुए लोग एक दूसरे से मिलेंगे । कल के कार्यक्रम को लेकर मुझमे भी काफी उत्साह है ।