शाम के छह बजनेवाले हैं. आज पहली बार नहीं रोज ही बजता है, परन्तु हर पल नया होता है, उसकी तुलना बीते हुए पल से कभी नहीं की जा सकती. अतः हर पल जीवन को नया आयाम प्रदान करता है. मनुष्य की मानसिक स्थिति भी सदैव एक सी नहीं होती. आज मेरा मन भी कल्पना के आलोक में भ्रमण करने को आतुर हो रहा है. यह आतुरता उचित है या नहीं, इस विषय पर मैं अपने विचार प्रकट करना नहीं चाहूँगा. परन्तु मेरे जीवन मैं मेरी भावनाओं के लिए अवश्य स्थान होना चाहिए. एक शिक्षक के रूप में जीवन व्यतीत करना आग की दरिया में नाव पर चलने के समान है. आप कितना भी बचने का प्रयास करें, लेकिन इसकी आंच से बचना लगभग असंभव होता है.
अपना सम्पूर्ण जीवन विद्यार्थियों के लिए अर्पित कर देने के पश्चात् एक शिक्षक के पास अंत में शायद ही कुछ शेष बचता है. अवकाश के पश्चात बाहरी जीवन से सामंजस्य स्थापित करने में जो कठिनाई आती है, उसे एक शिक्षक के अतिरिक्त शायद ही कोई समझ सके.
अपना सम्पूर्ण जीवन विद्यार्थियों के लिए अर्पित कर देने के पश्चात् एक शिक्षक के पास अंत में शायद ही कुछ शेष बचता है. अवकाश के पश्चात बाहरी जीवन से सामंजस्य स्थापित करने में जो कठिनाई आती है, उसे एक शिक्षक के अतिरिक्त शायद ही कोई समझ सके.
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