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लड़ाई का मैदान बन गई है संसद- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि संसद चर्चा की बजाय लड़ाई का मैदान बन गई है। उन्होंने कहा कि संसद में चर्चा से अधिक टकराव हो रहा है। अच्छी-से-अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। लोकतंत्र की संस्थाएं दबाव में हैं और इसके लिए सुधार भीतर से ही होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि मैं अपनी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों का विशेष अभिनंदन करता हूं। हमारे देश की उन्नति का आकलन हमारे मूल्यों की ताकत से होगा,परंतु साथ ही यह आर्थिक प्रगति तथा देश के संसाधनों के समतापूर्ण वितरण से भी तय होगी। हमारी अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए बहुत आशा बंधाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत गाथा के नए अध्याय अभी लिखे जाने हैं। आर्थिक सुधारों पर कार्य चल रहा है। यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि कुछ गिरावट के बाद देश ने वर्ष 2014-15 में 7.3 प्रतिशत की विकास दर वापस प्राप्त कर ली है। परंतु इससे पहले कि इस विकास का लाभ सबसे धनी लोगों के बैंक खातों में पहुंचे, उसे निर्धनतम व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान का सबसे कीमती उपहार लोकतंत्र है। हमारी संस्थाएं इस आदर्शवाद का बुनियादी ढांचा हैं। बेहतरीन विरासत के संरक्षण के लिए उनकी लगतार देखरेख करते रहने की जरूरत है।

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