समसामायिक हिंदी कविता गहरे सामाजिक सरोकारों की कविता है। वह मानवीय संबंधों के प्रति अतिशय संवेदनशील है। उसमें टुकड़ो में ही सही, लेकिन वर्तमान सभ्यता और समाज का समग्र चित्र विद्यमान है। समय और परिस्थिति का दबाव भले ही कवि को अपने में सिमटने पर विवश करे, पंरतु वह पर-दुख-ताप से पिघलकर अपने व्यक्तित्व में दरिया का विस्तार महसूस करता है।
अरुण कमल के व्यक्तित्व निर्माण के मुख्य प्रेरणास्त्रोत उनके पिता श्री कपिलदेव मुनि रहे। कविता लेखन में अरुण कमल की विशेष रुचि थी। कविता की भावुकता उनके निजी जीवन में भी देखने को मिलती है। संगीत में भी उनकी विशेष अभिरुचि है।
अरुण कमल के ‘नये इलाके में’ काव्य-संग्रह को वर्ष 1998 का ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ दिए जाने पर विद्वानों के मध्य अनेक विवाद उपजे और बहुत से आक्षेप लगाए गए। किन्तु इन कविताओं में गहरे डूबने पर जो जीवन की अर्थ-छवियाँ पाठक को मिलती हैं, उनमें वे सारे आक्षेप अपने आप खारिज हो जाते हैं।
काव्य में वस्तु अथवा रूप में से किसी एक को अधिक महत्व देना सही नहीं है । इनमें से कोई भी बड़ा या छोटा नहीं है । दोनों का संबंध अन्योन्याश्रित है। ये दोनों ही परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं और साहित्य में दोनों की ही भूमिका महत्त्वपूर्ण एवं निर्णायक है।
अरुण कमल उन कवियों में से हैं जो जीवन की जटिलताओं एवं अन्तर्विरोधों से जूझते हैं। उन्हें अपनी कविताओं में मुखर करके पाठकों को सोचने पर विवश करते हैं। अपने समय के दबावों से प्रभावित होने के कारण अरुण कमल की कविताओं में समकालीन राजनीति के चित्रण के साथ-साथ समसामयिक परिवेश जीवन्त हो उठा है। अनेक कविताओं में कवि ने एक दहशत भरे माहौल का चित्रण किया है। देष में बढ़ती हुई अराजकता और गुंडागर्दी का चित्रण उनकी कविताओं में मिलता है।
अरुण कमल की कविता में जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण मिलता है। इस विविधता के कारण उनकी भाषा में भी विविधता के दर्शन होते हैं। अरुण कमल ने अपनी कविताओं में अभिव्यक्त होनेवाले भाव को ठेठ समकालीन भाषा के अत्यंत सहज लहजे में प्रस्तुत किया। उनकी भाषा में लोकजीवन से शब्दों, मुहावरों, ग्रामीण बोली-भाषा व स्थानीय शब्दों का प्रयोग हुआ है।
समकालीन कविता ने ‘शिल्प’ को व्यापक अर्थ में प्रयुक्त किया है। इसका तात्पर्य सौंदर्य के उन तमाम उपादानों, साधनों, तत्वों आदि से है, जिनके द्वारा वह अपने भाव और विचार पाठकों तक प्रेषित करती है। हिंदी साहित्य में प्रयोगवादी कवियों ने काव्य-शिल्प के प्रति जागरुकता व्यक्त करते हुए शिल्प के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए। अरुण कमल का मुहावरा अपने समकालीनों में काफी अलग और सहज रूप से ध्यानाकर्षी रहा है। वे प्रगतिशील चिंतन के कवि माने जाते हैं, जिसका पर्याप्त साक्ष्य उनकी कविताएँ देती हैं।
अरुण कमल ने भाषा को जीवन के बहुत निकट लाने का प्रयास किया है। उनकी भाषा जिंदगी और अनुभव की भाषा है। उसे अनुभव से अलग करके नहीं समझा जा सकता। अरुण कमल की कविताओं में कुछ ताजे और अछूते बिंब देखने को मिलते हैं। ये बिंब प्रकृति या लोक-जीवन से अनायास उनकी कविताओं में आते हैं। वे अपने सामान्य और साधारण बिंबो को हमारे चिर-परिचित परिवेश से उठाते हैं और अपनी कला से गजब का सामर्थ्य और अदभुत वैशिष्ट्य भर देते हैं।
अरुण कमल की कविताओं में उम्मीद को जिलाए रखने की कोशिश मिलती है। कवि को यह पूरी उम्मीद है कि एक दिन राजपाट के पुराने भ्रष्ट तरीके समाप्त हो जाएंगे और उनके स्थान पर एक स्वस्थ व्यवस्था कायम होगी, जहाँ न मूर्खों का राज होगा, न ही पकवान का भेाज छकता महन्त। साथ ही देश में भय और आतंक फैलाने वाले गिरोह भी समाप्त हो जाएँगे। तब शासन की बागडोर दयालु, भोले-भाले और पवित्र आत्मा वाले लोग सँभालेंगे। वे देश में सुख-शांति फैलाएँगें, जनता को अन्धकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले चलेंगे।
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