-इंद्रकुमार विश्वकर्मा
भारत जहाँ आज शिक्षा, विज्ञान व तकनीक में नित-नवीन प्रगति कर रहा है, वहीं देश के ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। आए दिन शिक्षा और शिक्षक पर सवाल उठते रहते हैं। ऐसे में इस हालात में भी उम्मीद की किरण जगाने वाले कुछ शिक्षक हैं, जिन पर गर्व किया जा सकता है। ऐसी ही कुछ कहानी है, यूपी के शिक्षक अवनीश यादव की, जिनका तबादला हुआ तो स्कूल के बच्चे और पूरा गाँव फूट-फूटकर रोने लगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अवनीश यादव उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में गौरीबाजार ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के पद पर तैनात होकर 2009 में आए थे। जब वे यहाँ आए, उस दौरान यहां शिक्षा के हालात बहुत ही ख़राब थे। गाँव के लोग बच्चों को स्कूल ही नहीं भेजते थे। अवनीश ने हरिजन बस्ती और मजदूर वर्ग में जा-जाकर लोगों को बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मनाया।
बदल दी गांव में शिक्षा की सूरत
अवनीश ने घर-घर जाकर लोगों को शिक्षा का महत्त्व समझाया व शिक्षण के प्रति सजग किया और देखते ही देखते गांव के ढेरों बच्चे स्कूल आने लगे। अवनीश ने जी-जान से बच्चों को पढ़ाया। जरूरत पड़ने पर खुद ही उन्हें कॉपी-पेंसिल खरीद कर भी दी। पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को निभाने की वजह से ही अवनीश को 2013 में इसी विद्यालय में तरक्की देकर प्रधानाध्यापक बना दिया गया।
प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है यह स्कूल
अवनीश ने केवल 6 सालों में गाँवकी तस्वीर बदल कर रख दी। सरकारी स्कूल के बच्चे किसी बड़े प्राइवेट स्कूल को टक्कर दे रहे थे।
देवरिया के बीएसए राजीव कुमार यादव ने कहा, “अवनीश यादव का तबादला हम सबके लिए बहुत आहत भरा रहा है। शायद ही इस स्कूल को उनके जैसा शिक्षक मिले।"
तबादले पर रोया पूरा गांव
हाल ही में अवनीश का तबादला गाजीपुर के लिए हुआ। उधर जब वे स्कूल से विदाई लेने के लिए पहुँचे, तो मानो पूरा गांव गमगीन हो गया। बच्चों को फूट-फूटकर रोता देख अवनीश की आंखों से भी आंसुओं की धारा बह निकली। क्या बच्चे, क्या महिलाएं, क्या पुरुष, गांव का हर शख्स यही कहता नजर आया, "मास्टरजी हमें रोता छोड़कर मत जाइए।"
Read my same story published on news portal. Click to read..
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें